गाँधी जी ने अपना अपराध स्वीकार किया और उन्होंने सारी बात एक कागज में लिखकर पिताजी को बता दी. गुरूजी की इस बात को सुनकर शिष्य अत्यत दुख�
गाँधी जी ने अपना अपराध स्वीकार किया और उन्होंने सारी बात एक कागज में लिखकर पिताजी को बता दी. गुरूजी की इस बात को सुनकर शिष्य अत्यत दुख�